"गीता 10:15": अवतरणों में अंतर
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हे भूतों को उत्पन्न करने वाले ! हे भूतों के ईश्वर ! हे देवों के देव ! हे जगत् के स्वामी ! हे < | हे भूतों को उत्पन्न करने वाले ! हे भूतों के ईश्वर ! हे देवों के देव ! हे जगत् के स्वामी ! हे पुरुषोत्तम<ref>मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।</ref> ! आप स्वयं ही अपने से अपने को जानते हैं ।।15।। | ||
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भूतभावान = हे भूतों को उत्पत्र | भूतभावान = हे भूतों को उत्पत्र करने वाले; भूतेश = हे भूतों के ईश्वर; देवदेव = हे देवों के देव; जगत्पते = हे जगत् के स्वामी; पुरुषोत्तम = हे पुरुषोत्तम; त्वम् = आप; स्वयम् = स्व्यम्; आत्मना= अपने से; आत्मानम् = आपको; वेत्थ = जानते हैं | ||
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12:15, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-15 / Gita Chapter-10 Verse-15
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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