"गीता 6:9": अवतरणों में अंतर
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छठे श्लोक में यह बात कही गयी कि जिसने शरीर, इन्द्रिय और मनरूप आत्मा को जीत | छठे [[श्लोक]] में यह बात कही गयी कि जिसने शरीर, इन्द्रिय और मनरूप [[आत्मा]] को जीत लिया है, वह आप ही अपना मित्र है। फिर सातवें श्लोक में उस 'जितात्मा' पुरुष के लिये परमात्मा को प्राप्त होना तथा आठवें और नवें श्लोकों में परमात्मा को प्राप्त पुरुष के लक्षण बतलाकर उसकी प्रशंसा की गयी। इस पर यह जिज्ञासा होती है कि जितात्मा पुरुष को परमात्मा की प्राप्ति के लिये क्या करना चाहिये, वह किस साधन से परमात्मा को शीघ्र प्राप्त कर सकता है, इसलिये ध्यान योग का प्रकरण आरम्भ करते हैं- | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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05:56, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-6 श्लोक-9 / Gita Chapter-6 Verse-9
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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