"गीता 6:6": अवतरणों में अंतर
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जिसने मन और इन्द्रियों सहित शरीर को जीत लिया है, वह आप ही अपना मित्र क्यों है, इस बात को स्पष्ट करने के लिये अब शरीर, इन्द्रिय और मनरूप आत्मा को वश में करने का फल बतलाते हैं- | जिसने मन और [[इन्द्रियाँ|इन्द्रियों]] सहित शरीर को जीत लिया है, वह आप ही अपना मित्र क्यों है, इस बात को स्पष्ट करने के लिये अब शरीर, इन्द्रिय और मनरूप [[आत्मा]] को वश में करने का फल बतलाते हैं- | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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05:53, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-6 श्लोक-6 / Gita Chapter-6 Verse-6
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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