"गीता 10:25": अवतरणों में अंतर
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मैं महर्षियों में < | मैं महर्षियों में [[भृगु]]<ref>महर्षि भृगु [[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] के नौ मानस पुत्रों में अन्यतम हैं। ये एक प्रजापति भी हैं और [[सप्तर्षि|सप्तर्षियों]] में इनकी गणना है।</ref> और शब्दों में एक अक्षर अर्थात् ओंकार हूँ। सब प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] में जपयज्ञ और स्थिर रहने वालों में [[हिमालय]]<ref>[[भारतवर्ष]] का सबसे ऊंचा [[पर्वत]], जो उत्तर में देश की लगभग 2500 किलोमीटर लंबी सीमा बनाता है ।</ref> पहाड़ हूँ ।।25।। | ||
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महर्षीणाम् = महर्षियों में; भृगु: = भृगु(और); गिराम् = वचनों में; एकम् = एक; अक्षरम् = अक्षर अर्थात् ओंकार; यज्ञानाम् = सब प्रकार के यज्ञों में; जपयज्ञ: = जपयज्ञ(और); स्थावराणाम् = स्थिर | महर्षीणाम् = महर्षियों में; भृगु: = भृगु(और); गिराम् = वचनों में; एकम् = एक; अक्षरम् = अक्षर अर्थात् ओंकार; यज्ञानाम् = सब प्रकार के यज्ञों में; जपयज्ञ: = जपयज्ञ(और); स्थावराणाम् = स्थिर रहने वालों में; हिमालय: = हिमालय पहाड़ | ||
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13:32, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-25 / Gita Chapter-10 Verse-25
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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