वृष्णिवंशियों में <balloon title="मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।" style="color:green">वासुदेव</balloon> अर्थात् मैं स्वयं तेरा सखा, <balloon link="पांडव" title="पांडव कुन्ती के पुत्र थे। इनके नाम युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">पाण्डवों</balloon> में <balloon title="पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।" style="color:green">
धनंजय</balloon> अर्थात् तू, मुनियों में <balloon link="वेदव्यास" title="भगवान व्यास भगवान नारायण के ही कलावतार थे। व्यास जी के पिता का नाम पाराशर ऋषि तथा माता का नाम सत्यवती था।
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वेदव्यास</balloon> और कवियों में <balloon link="शुक्राचार्य" title="शुक्राचार्य दैत्यों के आचार्य के रूप में प्रसिद्ध हैं। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">शुक्राचार्य</balloon> कवि भी मैं ही हूँ ।।37।।
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I am Krishna among the vrsnis, Arjuna among the sons of Pandu, Vyasa among the sages, and the sage shukracharya among the wise. (37)
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