"गीता 10:29": अवतरणों में अंतर
छो (Text replace - "<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>" to "<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>") |
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "वरूण" to "वरुण") |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
'''अनन्तश्चास्मि नागानां | '''अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम् ।'''<br/> | ||
'''पितृणामर्यमा चास्मि यम: संयमतामहम् ।।29।।''' | '''पितृणामर्यमा चास्मि यम: संयमतामहम् ।।29।।''' | ||
</div> | </div> | ||
पंक्ति 20: | पंक्ति 20: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
मैं नागों में [[शेष नाग]] और जलचरों का अधिपति <balloon link=" | मैं नागों में [[शेष नाग]] और जलचरों का अधिपति <balloon link="वरुण " title="वरुण जल के स्वामी तथा सम्पूर्ण सम्राटों के सम्राट हैं।¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">वरुण</balloon> [[देवता]] हूँ और पितरों में अर्यमा नामक पितर तथा शासन करने वालों में <balloon link="यमराज " title="यमराज जीवों के शुभाशुभ कर्मों के निर्णायक हैं। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">यमराज</balloon> हूँ ।।29।। | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">यमराज</balloon> हूँ ।।29।। | ||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
नागानाम् = नागों में; अनन्त: = शेषनाग; यादसाम् = जलचरों में; | नागानाम् = नागों में; अनन्त: = शेषनाग; यादसाम् = जलचरों में; वरुण: = (उनका अधिपति) वरुण देवता; पितृणाम् = पितरों में अर्यमा = अर्यमा नामक पित्रेश्वर(तथा); संयमताम् = शासन करनेवालोंमें; यम: = यमराज; अहम् = मैं | ||
|- | |- | ||
|} | |} |
02:22, 4 अप्रैल 2010 का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-29 / Gita Chapter-10 Verse-29
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||