"गीता 10:2": अवतरणों में अंतर
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प्रभवम् = उत्पत्ति को अर्थात् विभूतिसहित | प्रभवम् = उत्पत्ति को अर्थात् विभूतिसहित लीला से प्रकट होने को; सुरगणा: = देवतालोग; (विदुJ = जानते हैं (और)श महर्षय: = महर्षिजन(ही); विदु: जानते हैं; हि = क्योंकि; सर्वश: = सब प्रकार से; देवानाम् = देवताओं का; महर्षीणाम् = महर्षियों का (भी); आदि: = आदकारण हूं | ||
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08:15, 21 मई 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-2 / Gita Chapter-10 Verse-2
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