"गीता 6:36": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{गीता2}}" to "{{प्रचार}} {{गीता2}}") |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति 9: | पंक्ति 8: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
योगसिद्धि के लिये मन को वश में करना परम आवश्यक बतलाया | योगसिद्धि के लिये मन को वश में करना परम आवश्यक बतलाया गया। इस पर यह जिज्ञासा होती है कि जिसका मन वश में नहीं है,किंतु योग में श्रद्धा होने के कारण जो भगवत्प्राप्ति के लिये साधन करता है, उसकी मरने के बाद क्या गति होती है? इसीलिये [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> पूछते हैं- | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
पंक्ति 59: | पंक्ति 57: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | {{गीता2}} | ||
</td> | </td> |
06:44, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-6 श्लोक-36 / Gita Chapter-6 Verse-36
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||