गीता 10:14

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गीता अध्याय-10 श्लोक-14 / Gita Chapter-10 Verse-14


सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव ।
न हि ते भगवन्व्यक्तिं विदुर्देवा न दानवा: ।।14।।



हे <balloon title="मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।" style="color:green">केशव</balloon> ! जो कुछ भी मेरे प्रति आप कहते हैं, इस सबको मैं सत्य मानता हूँ । हे भगवान् ! आपके लीलामय स्वरूप को न तो दानव जानते हैं और न देवता ही जानते हैं ।।14।।

Krishna, I believe as true all that you tell me, Lord, neither demons nor gods are aware of Your manifestation through sport. (14)


यत् = जो कुछ भी; माम् = मेरे प्रति; वदसि = आप कहते हैं; एतत् = इस; सर्वम् = समस्त को (मैं); ऋतम् = सत्य; मन्ये = मानता हूं; ते = आपके; व्यक्तिम् = लीलामय स्वरूप को; दानवा: =दानव; विदु: जानते हैं (और); देवा: = देवता



अध्याय दस श्लोक संख्या
Verses- Chapter-10

1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42

अध्याय / Chapter:
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