"गीता 6:5": अवतरणों में अंतर
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आत्मना = अपने द्वारा; आत्मानम् = आप का (संसार समुद्र से); उद्वरेत् = | आत्मना = अपने द्वारा; आत्मानम् = आप का (संसार समुद्र से); उद्वरेत् = उद्धार करे(और); आत्मानम् = अपने आत्मा को; न अवसादयेत् = अधोगति में न पहुंचावे; हि = क्योंकि (यह ); आत्मा = जीवात्मा आप; एव =ही (तो ); आत्मन: = अपना; बन्धु: = मित्र है(और ); आत्मा = आप; आत्मन: = अपना; रिपु: = शत्रु है; | ||
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14:12, 17 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-6 श्लोक-5 / Gita Chapter-6 Verse-5
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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