"साँचा:सूरदास की रचनाएँ": अवतरणों में अंतर
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प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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|रचना 5=अंखियां हरि-दरसन की भूखी | |रचना 5=अंखियां हरि-दरसन की भूखी | ||
|रचना 6=धोखैं ही धोखैं डहकायौ | |रचना 6=धोखैं ही धोखैं डहकायौ | ||
|रचना 7= | |रचना 7=बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं | ||
|रचना 8=दृढ इन चरण कैरो भरोसो | |रचना 8=दृढ इन चरण कैरो भरोसो | ||
|रचना 9=अंखियां हरि–दरसन की प्यासी | |रचना 9=अंखियां हरि–दरसन की प्यासी | ||
|रचना 10= | |रचना 10=प्रीति करि काहु सुख न लह्यो | ||
|रचना 11=जागिए ब्रजराज कुंवर | |रचना 11=जागिए ब्रजराज कुंवर | ||
|रचना 12=आजु मैं गाई चरावन जैहों | |रचना 12=आजु मैं गाई चरावन जैहों | ||
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|रचना 17=चरन कमल बंदौ हरि राई | |रचना 17=चरन कमल बंदौ हरि राई | ||
|रचना 18=अपन जान मैं बहुत करी | |रचना 18=अपन जान मैं बहुत करी | ||
|रचना 19= | |रचना 19=बृथा सु जन्म गंवैहैं | ||
|रचना 20= | |रचना 20=मधुकर! स्याम हमारे चोर | ||
|रचना 21=नटवर वेष काछे स्याम | |रचना 21=नटवर वेष काछे स्याम | ||
|रचना 22=अब कै माधव, मोहिं उधारि | |रचना 22=अब कै माधव, मोहिं उधारि | ||
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|कवि का नाम=सूरदास | |कवि का नाम=सूरदास | ||
|रचना प्रकार= | |रचना प्रकार= | ||
|रचना 1= | |रचना 1=प्रभु, मेरे औगुन न विचारौ | ||
|रचना 2=कहियौ, नंद कठोर भये | |रचना 2=कहियौ, नंद कठोर भये | ||
|रचना 3= | |रचना 3=मेटि सकै नहिं कोइ | ||
|रचना 4= | |रचना 4= | ||
|रचना 5=अब या तनुहिं राखि कहा कीजै | |रचना 5=अब या तनुहिं राखि कहा कीजै | ||
|रचना 6= | |रचना 6= | ||
|रचना 7= | |रचना 7=मन तोसों कोटिक बार कहीं | ||
|रचना 8=आनि सँजोग परै | |रचना 8=आनि सँजोग परै | ||
|रचना 9=जापर दीनानाथ ढरै | |रचना 9=जापर दीनानाथ ढरै | ||
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|रचना 12= | |रचना 12= | ||
|रचना 13=गिरि जनि गिरै स्याम के कर तैं | |रचना 13=गिरि जनि गिरै स्याम के कर तैं | ||
|रचना 14= | |रचना 14=प्रभु, मेरे औगुन चित न धरौ | ||
|रचना 15=अब हों नाच्यौ बहुत गोपाल | |रचना 15=अब हों नाच्यौ बहुत गोपाल | ||
|रचना 16=उपमा हरि तनु देखि लजानी | |रचना 16=उपमा हरि तनु देखि लजानी | ||
|रचना 17= | |रचना 17= | ||
|रचना 18=ऊधो, हम लायक सिख दीजै | |रचना 18=ऊधो, हम लायक सिख दीजै | ||
|रचना 19= | |रचना 19=भाव भगति है जाकें | ||
|रचना 20=नाथ, अनाथन की सुधि लीजै | |रचना 20=नाथ, अनाथन की सुधि लीजै | ||
|रचना 21=अबिगत गति कछु कहति न आवै | |रचना 21=अबिगत गति कछु कहति न आवै | ||
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|कवि का नाम=सूरदास | |कवि का नाम=सूरदास | ||
|रचना प्रकार= | |रचना प्रकार= | ||
|रचना 1= | |रचना 1=भजु मन चरन संकट-हरन | ||
|रचना 2=जो पै हरिहिंन शस्त्र गहाऊं | |रचना 2=जो पै हरिहिंन शस्त्र गहाऊं | ||
|रचना 3= | |रचना 3=मुरली गति बिपरीत कराई | ||
|रचना 4=ऊधो, मन माने की बात | |रचना 4=ऊधो, मन माने की बात | ||
|रचना 5= | |रचना 5= | ||
|रचना 6= | |रचना 6=भोरहि सहचरि कातर दिठि | ||
|रचना 7=कब तुम मोसो पतित उधारो | |रचना 7=कब तुम मोसो पतित उधारो | ||
|रचना 8= | |रचना 8= | ||
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|रचना 16= | |रचना 16= | ||
|रचना 17= | |रचना 17= | ||
|रचना 18= | |रचना 18=मन धन-धाम धरे | ||
|रचना 19= | |रचना 19=प्रीति करि काहू सुख न लह्यो | ||
|रचना 20=ऎसी प्रीति की बलि जाऊं | |रचना 20=ऎसी प्रीति की बलि जाऊं | ||
|रचना 21=जौ बिधिना अपबस करि पाऊं | |रचना 21=जौ बिधिना अपबस करि पाऊं | ||
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|रचना 2=तिहारो दरस मोहे भावे | |रचना 2=तिहारो दरस मोहे भावे | ||
|रचना 3=निसिदिन बरसत नैन हमारे | |रचना 3=निसिदिन बरसत नैन हमारे | ||
|रचना 4= | |रचना 4=माधवजू, जो जन तैं बिगरै | ||
|रचना 5= | |रचना 5= | ||
|रचना 6= | |रचना 6= | ||
|रचना 7= | |रचना 7= | ||
|रचना 8= | |रचना 8=फिर फिर कहा सिखावत बात | ||
|रचना 9=खेलत नंद-आंगन गोविन्द | |रचना 9=खेलत नंद-आंगन गोविन्द | ||
|रचना 10= | |रचना 10=माधव कत तोर करब बड़ाई | ||
|रचना 11= | |रचना 11= | ||
|रचना 12=जसोदा, तेरो भलो हियो है माई | |रचना 12=जसोदा, तेरो भलो हियो है माई | ||
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|रचना 16= | |रचना 16= | ||
|रचना 17=कहां लौं बरनौं सुंदरताई | |रचना 17=कहां लौं बरनौं सुंदरताई | ||
|रचना 18= | |रचना 18=बदन मनोहर गात | ||
|रचना 19=तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान | |रचना 19=तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान | ||
|रचना 20=ऐसैं मोहिं और कौन पहिंचानै | |रचना 20=ऐसैं मोहिं और कौन पहिंचानै |