अब कै माधव, मोहिं उधारि -सूरदास

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अब कै माधव, मोहिं उधारि -सूरदास
सूरदास
सूरदास
कवि महाकवि सूरदास
जन्म संवत 1535 वि.(सन 1478 ई.)
जन्म स्थान रुनकता
मृत्यु 1583 ई.
मृत्यु स्थान पारसौली
मुख्य रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूरदास की रचनाएँ

अब कै[1] माधव, मोहिं उधारि।[2]
मगन[3] हौं भव[4] अम्बुनिधि[5] में, कृपासिन्धु मुरारि॥
नीर अति गंभीर माया, लोभ लहरि तरंग।
लियें जात अगाध जल में गहे ग्राह[6] अनंग॥[7]
मीन इन्द्रिय अतिहि काटति, मोट[8] अघ सिर भार।
पग न इत उत धरन पावत, उरझि मोह सिबार॥[9]
काम क्रोध समेत तृष्ना, पवन अति झकझोर।
नाहिं चितवत देत तियसुत नाम-नौका ओर॥
थक्यौ बीच बेहाल बिह्वल, सुनहु करुनामूल।
स्याम, भुज गहि काढ़ि डारहु, सूर ब्रज के कूल॥[10]

 

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अबकी बार ,इस जन्म में।
  2. उद्धार करो।
  3. मग्न, डूबा हुआ।
  4. संसार।
  5. समुद्र।
  6. मगर।
  7. काम वासना।
  8. =गठरी।
  9. शैवाल, पानी के अन्दर उगनेवाली घास जिसमें मनुष्य प्रायः फंस जाता है
  10. किनारा।

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