"गीता 6:45": अवतरणों में अंतर
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योगभ्रष्ट की गति का विषय समाप्त करके, अब भगवान् योगी की महिमा कहते हुए <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर | योगभ्रष्ट की गति का विषय समाप्त करके, अब भगवान् योगी की महिमा कहते हुए <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। | ||
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07:53, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-6 श्लोक-45 / Gita Chapter-6 Verse-45
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