यह स्थिर न रहने वाला और चंचल मन जिस-जिस शब्दादि विषय के निमित्त से संसार में विचरता है, उस विषय से रोककर यानी हटाकर इसे बार-बार परमात्मा में निरुद्ध करे ।।26।।
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Drawing back the restless and fidgety mind from all those objects after which it runs, he should repeatedly fix it on God. (26)
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