अर्जुन बोले-
हे मधुसूदन[2] ! जो यह योग आपने समभाव से कहा है, मन के चंचल होने से मैं इसकी नित्य स्थिति को नहीं देखता हूँ ।।33।।
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Arjuna said:
Krishna, owing to restlessness of mind I do not perceive the stability of this yoga in the form of equability, which you have just spoken of. (33)
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