सम्पूर्ण योगियों में भी जो श्रद्धावान योगी मुझ में लगे हुए अन्तरात्मा से मुझ को निरन्तर भजता है, वह योगी मुझे परम श्रेष्ठ मान्य है ।।47।।
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Of all yogis, again, he who devoutly worship me with his mind focused on me is considered by me to be the best yogi..(47)
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