श्रीभगवान् बोले-
हे पार्थ[1] ! उस पुरुष का न तो इस लोक में नाश होता है और न परलोक में ही। क्योंकि हे प्यारे ! आत्मोद्वार के लिये अर्थात् भगवत्प्राप्ति के लिये कर्म करने वाला कोई भी मनुष्य दुर्गति को प्राप्त नहीं होता ।।40।।
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Shri Bhagavan said:
Dear Arjuna, there is no fall for him either here or herafter. For none who strives for self-redemption (i.e., God-realization) ever meets with evil destiny. (40)
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