श्रेणी:काव्य कोश
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- खुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान की -गोपालदास नीरज
- खून अपना हो या पराया हो -साहिर लुधियानवी
- खेलत नंद-आंगन गोविन्द -सूरदास
- खेलत फाग दुहूँ तिय कौ -बिहारी लाल
- खेलत फाग सुहाग भरी -रसखान
- खेलूँगी कभी न होली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- खैंची लबों ने आह -अना क़ासमी
- खैर खुन खाँसी खुशी -रहीम
- खैर, खून, खाँसी, खुसी -रहीम
- खोद खाद धरती सहै -कबीर
ग
- गंगा -सुमित्रानंदन पंत
- गंगा की विदाई -माखन लाल चतुर्वेदी
- गंगा-स्तुति -विद्यापति
- गंगालहरी
- गंगालहरी (पंडित जगन्नाथ)
- गंगालहरी (पद्माकर)
- गर चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे -अदम गोंडवी
- गरज आपनी आप सों -रहीम
- गरब न कीजै बावरे -मलूकदास
- गरीब दास
- गर्ग संहिता
- गर्म पकौड़ी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- गर्मी ए शौक़ -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय -मीरां
- गहन है यह अंधकार -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- गहि सरनागति राम की -रहीम
- ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया -दाग़ देहलवी
- ग़ज़ल को ले चलो अब -अदम गोंडवी
- ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएँ हम -दाग़ देहलवी
- गाँधी -रामधारी सिंह दिनकर
- गाँव में चक्का तलाई -अजेय
- गांजा पीनेवाला जन्मको लहरीरे -मीरां
- गांधारी से संवाद (1) -कुलदीप शर्मा
- गांधारी से संवाद (2) -कुलदीप शर्मा
- गांधीजी के जन्मदिन पर -दुष्यंत कुमार
- गाइ गाइ अब का कहि गाऊँ -रैदास
- गाया तिन पाया नहीं -कबीर
- गाली में गरिमा घोल-घोल -माखन लाल चतुर्वेदी
- गावन ही मैं रोवना -कबीर
- गावैं गुनी गनिका गन्धर्व -रसखान
- गाहि सरोवर सौरभ लै -बिहारी लाल
- गिरि जनि गिरै स्याम के कर तैं -सूरदास
- गिरि पर चढ़ते, धीरे-धीर -माखन लाल चतुर्वेदी
- गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी
- गीत -किरण मिश्रा
- गीत -विद्यापति
- गीत का जन्म -दुष्यंत कुमार
- गीत गाने दो मुझे -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- गीत जो गाये नहीं -गोपालदास नीरज
- गीत विहग -सुमित्रानंदन पंत
- गीत-अगीत -रामधारी सिंह दिनकर
- गीत-ग़ज़ल -आरसी प्रसाद सिंह
- गीतांजलि
- गीतिका -सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
- गुंजन -सुमित्रानन्दन पंत
- गुणगान -मैथिलीशरण गुप्त
- गुनह करेंगे -अशोक चक्रधर
- गुमशुदा की तलाश -अशोक कुमार शुक्ला
- गुरु कुम्हार की गुरुदक्षिणा -नीलम प्रभा
- गुरु गोविंद तौ एक है -कबीर
- गुरुदेव का अंग -कबीर
- गुलों में रंग भरे, बादे-नौबहार -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- गोचारण काव्य
- गोपाल चतुर्वेदी
- गोपाल राधे कृष्ण गोविंद -मीरां
- गोपीभाव -वंदना गुप्ता
- गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी -रैदास
- गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा -मीरां
- गोरी गरबीली उठी -देव
- गोरी बाल थोरी वैस, लाल पै गुलाल मूठि -रसखान
- गोविन्ददास आचार्य
- गोविन्ददास कविराज
- गोविन्ददास चक्रवर्ती
- गोशाला (काव्य)
- गौब्यंदे भौ जल -रैदास
- गौरी के वर देखि बड़ दुःख -विद्यापति
- ग्यान प्रकासा गुरु मिला -कबीर
- ग्रंथि -सुमित्रानन्दन पंत
- ग्राम श्री -सुमित्रानंदन पंत
- ग्राम्या -सुमित्रानन्दन पंत
- ग्रीषम प्रचंड घाम -देव
घ
- घंटा -सुमित्रानंदन पंत
- घर -कुलदीप शर्मा
- घर आंगण न सुहावै, पिया बिन मोहि न भावै -मीरां
- घर आवो जी सजन मिठ बोला -मीरां
- घर बचाने के लिए -शिवकुमार बिलगरामी
- घर में ठंडे चूल्हे पर -अदम गोंडवी
- घर मेरा है? -माखन लाल चतुर्वेदी
- घरौंदे का वास्तु शिल्प -नीलम प्रभा
- घाँघरो घनेरो लाँबी -देव
- घूँघट के पट -कबीर
- घूस माहात्म्य -काका हाथरसी
- घोषणापत्र -कन्हैयालाल नंदन
च
- चंचल पग दीप-शिखा-से -सुमित्रानंदन पंत
- चंद रोज़ और मेरी जान फ़क़त -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- चंदा मामा -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- चंद्रकांत देवताले
- चंद्रयात्रा और नेता का धंधा -काका हाथरसी
- चंद्रसिंह बिरकाली
- चन्दा जनि उग आजुक -विद्यापति
- चमरटा गाँठि न जनई -रैदास
- चरन कमल बंदौ हरि राई -सूरदास
- चरन कमल बंदौ हरिराई -सूरदास
- चरन रज महिमा मैं जानी -मीरां
- चर्पटीनाथ
- चलते समय -सुभद्रा कुमारी चौहान
- चलते-चलते थक गए पैर -गोपालदास नीरज
- चलि मन हरि चटसाल पढ़ाऊँ -रैदास
- चलो छिया-छी हो अन्तर में -माखन लाल चतुर्वेदी
- चलो महफ़िल सजा लूँ -वंदना गुप्ता
- चलो हम उस जगह दीपक जलायें -शिवकुमार बिलगरामी
- चश्मे-मयगूँ ज़रा इधर कर दे -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- चाँचर (रमैनी)
- चाँद का मुँह टेढ़ा है (कविता) -गजानन माधव मुक्तिबोध
- चाँद का मुँह टेढ़ा है -गजानन माधव मुक्तिबोध
- चाँद की आदतें -राजेश जोशी
- चाँद को देखो -आरसी प्रसाद सिंह
- चाँद निकले किसी जानिब -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- चाँद है ज़ेरे-क़दम -अदम गोंडवी
- चाँदनी -सुमित्रानंदन पंत
- चांणक का अंग -कबीर
- चांद का कुर्ता -रामधारी सिंह दिनकर
- चांद की आदतें -राजेश जोशी
- चाकर राखो जी -मीरां
- चार दिन -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- चारु चंद्र की चंचल किरणें -मैथिलीशरण गुप्त
- चालने सखी दही बेचवा जइये -मीरां
- चालो अगमके देस कास देखत डरै -मीरां
- चालो ढाकोरमा जइ वसिये -मीरां
- चालो मन गंगा जमुना तीर -मीरां
- चालो मान गंगा जमुना तीर गंगा जमुना तीर -मीरां
- चालो सखी मारो देखाडूं -मीरां
- चाह गई चिंता मिटी -रहीम
- चिंता -सुभद्रा कुमारी चौहान
- चिंता छांड़ि अचिंत रहु -कबीर
- चिंता तौ हरि नाँव की -कबीर
- चिंतामनि चित मैं बसै -कबीर
- चिड़िया -आरसी प्रसाद सिंह
- चिड़िया -राजेश जोशी
- चिड़िया की उड़ान -अशोक चक्रधर
- चितवौ जी मोरी ओर -मीरां
- चितावणी का अंग -कबीर
- चित्रकूट में रमि रहे -रहीम
- चित्राधार -जयशंकर प्रसाद
- चिदंबरा -सुमित्रानन्दन पंत
- चिराग़ जैन
- चींटी -सुमित्रानंदन पंत
- चीथड़े में हिन्दुस्तान -दुष्यंत कुमार
- चील (1) -कुलदीप शर्मा
- चुटपुटकुले (कविता) -अशोक चक्रधर
- चुटपुटकुले -अशोक चक्रधर
- चुनरी रंग गयी तेरे रंग में -कैलाश शर्मा
- चुनाव -कन्हैयालाल नंदन
- चुनी चुनाई -अशोक चक्रधर
- चुम्बन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- चोरी की रपट -काका हाथरसी
- चौंको मत मेरे दोस्त -कन्हैयालाल नंदन
- चौंतीसा (रमैनी)
- चौसठि दीवा जोइ करि -कबीर
छ
- छंदमाला
- छतड़ू में कैम्प फायर -अजेय
- छबि आवन मोहनलाल की -रहीम
- छमा बड़न को चाहिये -रहीम
- छाप तिलक सब छीन्हीं रे -अमीर ख़ुसरो
- छिप-छिप अश्रु बहाने वालों -गोपालदास नीरज
- छिमा बड़ेन को चाहिए -रहीम
- छीन ली नींद भी मेरे नयन की -गोपालदास नीरज
- छूटा गांव, छूटी गली -अशोक चक्रधर
- छेड़ने का तो मज़ा तब है कहो और सुनो -इंशा अल्ला ख़ाँ
- छोड़ द्रुमों की मृदु छाया -सुमित्रानंदन पंत
- छोड़ मत जाज्यो जी महाराज -मीरां
- छोडो चुनरया छोडो मनमोहन -मीरां
ज
- जखन लेल हरि कंचुअ अचोडि -विद्यापति
- जग के उर्वर आँगन में -सुमित्रानंदन पंत
- जग मैं बेद बैद मांनी जें -रैदास
- जग-जीवन में जो चिर महान -सुमित्रानंदन पंत
- जगत में मेला -अनूप सेठी
- जगतसिंह
- जगदीश व्योम
- जगनिक
- जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
- जगमगे जोबन -देव
- जदि का माइ जनमियाँ -कबीर
- जन कूँ तारि तारि तारि तारि बाप रमइया -रैदास
- जनतन्त्र का जन्म -रामधारी सिंह दिनकर
- जनम अकारथ खोइसि -सूरदास
- जनम होअए जनु -विद्यापति
- जन्मभूमि -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- जब आग लगे... -रामधारी सिंह दिनकर
- जब कभी उन के तवज्जो -साहिर लुधियानवी
- जब खेली होली नंद ललन -नज़ीर अकबराबादी
- जब ढाई आखर न जानो -कैलाश शर्मा
- जब तेरी समन्दर आँखों में -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- जब दुपहरी ज़िंदगी पर -गजानन माधव मुक्तिबोध
- जब पानी सर से बहता है -आरसी प्रसाद सिंह
- जब प्रश्न चिह्न बौखला उठे -गजानन माधव मुक्तिबोध
- जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर निकला -गोपालदास नीरज
- जब यह दीप थके -महादेवी वर्मा
- जब यार देखा नैन भर -अमीर ख़ुसरो
- जब रामनाम कहि गावैगा -रैदास