जग मैं बेद बैद मांनी जें। इनमैं और अंगद कछु औरे, कहौ कवन परिकीजै।। टेक।। भौ जल ब्याधि असाधिअ प्रबल अति, परम पंथ न गही जै। पढ़ैं गुनैं कछू समझि न परई, अनभै पद न लही जै।।1।। चखि बिहूंन कतार चलत हैं, तिनहूँ अंस भुज दीजै। कहै रैदास बमेक तत बिन, सब मिलि नरक परी जै।।2।।