राग सूहा चालो मन गंगा जमुना तीर। गंगा जमुना निरमल पाणी सीतल होत सरीर। बंसी बजावत गावत कान्हो[1], संग लियो बलबीर[2]॥ मोर मुगट पीताम्बर सोहे कुण्डल झलकत[3] हीर। मीराके प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल पर सीर[4]॥