हे अनन्त सामर्थ्य वाले ! आपके लिये आगे से और पीछे से भी नमस्कार ! हे सर्वात्मन् ! आपके लिये सब ओर से ही नमस्कार हो। क्योंकि अनन्त पराक्रमशाली आप सब संसार को व्याप्त किये हुए हैं, इससे आप ही सर्वरूप हैं ।।40।।
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O Lord of infinite prowess, my satutations to you from before and from behind. O soul of all, my obeisance to you from all sides indeed. You, who possess limitless might, pervade all; therefore, You are all. (40)
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