श्रीभगवान् बोले-
मेरा जो चतुर्भुज रूप तुमने देखा है, यह सुदुर्दश है अर्थात् इसके दर्शन बड़े ही दुर्लभ हैं। देवता भी सदा इस रूप के दर्शन की आकांक्षा करते रहते हैं ।।52।।
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Shri Bhagavan said-
This form of mine (with four arms) which you have just seen is exceedingly difficult to perceive. Even the gods are always eager to behold this form. (52)
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