जिस प्रकार तुमने मुझको देखा है- इस प्रकार चतुर्भुज रूप वाला मैं न वेदों[1] से, न तप से, न दान से, और न यज्ञ से ही देखा जा सकता हूँ ।।53।।
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Neither by study of the Vedas nor by penance, nor again by charity, nor even by ritual can I be seen in this form (with four arms )as you have seen me. (53)
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