हे भरतवंशी अर्जुन[1] ! मुझमें आदित्यों को अर्थात् अदिति[2] के द्वादश पुत्रों को, आठ वसुओं को, एकादश रुद्रों को, दोनों अश्विनी कुमारों[3] को और उनचास मरूद्गणों को देख तथा और भी बहुत-से पहले न देखे हुए आश्चर्यमय रूपों को देख ।।6।।
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Behold in Me, Arjuna, the twelve sons of Aditi, the eight Vasus, the eleven Rudras (gods of destruction), the two Asvinikumaras (the twin-born physicians of gods) and the fortynine maruts(winds-gods), and witness many more wonderful forms never seen before. (6)
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