श्रीभगवान् बोले –
हे पार्थ[2] ! अब तू मेरे सैकड़ों–हज़ारों नाना प्रकार के और नाना वर्ण तथा नाना आकृति वाले अलौकिक रूपों को देख ।।5।।
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Shri Bhagavan said-
Arjuna behold presently in hundreds and thousands, my multifarious divine forms, of various colours and shapes. (5)
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