अध्यात्मज्ञान में नित्य स्थिति और तत्वज्ञान के अर्थ रूप परमात्मा को ही देखना- यह सब ज्ञान है, और जो इससे विपरीत है, वह अज्ञान है- ऐसा कहा है ।।11।।
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Fixity in self-knowledge and seeing god as the object of true knowledge, all this is declared as knowledge; and what is other than this is called ignorance. (11)
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