गीता 13:6

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गीता अध्याय-13 श्लोक-6 / Gita Chapter-13 Verse-6

इच्छा द्वेष: सुखं दु:खं संघातश्चेतना धृति: ।
एतत्क्षेत्रं समासेन सविकारमुदाहृतम् ।।6।।



तथा इच्छा, द्वेष, सुख, दु:ख, स्थूल देह का पिण्ड, चेतना और धृति – इस प्रकार विकारों के सहित यह क्षेत्र संक्षेप में कहा गया हैं ।।6।।

Also desire, aversion, pleasure, pain the physical body, consciousness, firmness: thus is the ksetra, with its evolutes, briefly states. (6)


इच्छा = इच्छा ; द्वेष: = द्वेष ; सुखम् = सुख ; दु:खम् = दु:ख (और) ; संघात: = स्थूल देहका पिण्ड (एवं) ; चेतना = चेतनता (और) ; धृति: = धृति (इस प्रकार) ; इतत् = यह ; क्षेत्रम् = क्षेत्र ; सविकारम् = विकारों के सहित ; समासेन = संक्षेप से ; उदाहृतम् = कहा गया ;



अध्याय तेरह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-13

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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