परन्तु इनसे दूसरे अर्थात् जो मन्द-बुद्धि वाले पुरुष हैं, वे इस प्रकार न जानते हुए दूसरों से अर्थात् तत्त्व के जानने वाले पुरुषों से सुनकर ही तदनुसार उपासना करते हैं और वे श्रवणपरायण पुरुष भी मृत्यु रूप संसार सागर को नि:संदेह तर जाते हैं ।।25।।
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Other dull witted persons, however, not knowing thus, whorship even as they have heard from others; and even those who are thus devoted to hearing, are able to cross the ocean of mundance existence in the shape of death. (25)
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