हे अर्जुन[1] ! जितने भी स्थावर-जंगम प्राणी उत्पन्न होते हैं, उन सबको तू क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के संयोग से ही उत्पन्न जान ।।26।।
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Arjuna, whatsoever being, animate or inanimate, is born, know it as emanated from the union of ksetra (matter) and the ksetrajna (spirit). (26)
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