वह सम्पूर्ण इन्द्रियों के विषयों को जानने वाला है, परन्तु वास्तव में सब इन्द्रियों से रहित है, तथा आसक्ति रहित होने पर भी सबका धारण-पोषण करने वाला और निर्गुण होने पर भी गुणों को भोगने वाला है ।।14।।
|
Though perceiving all sense-objects it is, really speaking, devoid of all senses. Nay, though unattached, it is the sustainer of all nonetheless; and though attributeless, it is the enjoyer of qualities (the three modes of prakrti). (14)
|