वह चराचर सब भूतों के बाहर-भीतर परिपूर्ण है, और चर-अचर रूप भी वही है और वह सूक्ष्म होने से अविज्ञेय है तथा अति समीप में और दूर में भी स्थित वही है ।।15।।
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It exists without and within all beings, and constitutes the animate and inanimate creation as well. And by reason of its subttelty. It is incomprehensible; it is close at hand stand afar too. (15)
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