यह क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ का तत्त्व ऋषियों द्वारा बहुत प्रकार से कहा गया है और विविध वेद मन्त्रों द्वारा भी विभागपूर्वक कहा गया है, तथा भली-भाँति निश्चय किये हुए युक्तियुक्त ब्रह्रा सूत्र के पदों द्वारा भी कहा गया है ।।4।।
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The truth about the ksetra and the ksetrajna has been expounded by the seers in manifold ways; again, it has been separately stated in different vedic chants and also in the conclusive and reasoned texts of the Brahmasutras. (4)
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