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09:18, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

गीता अध्याय-13 श्लोक-9 / Gita Chapter-13 Verse-9

असक्तिरनभिष्वंग: पुत्रदारगृहादिषु ।
नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु ।।9।।



पुत्र, स्त्री, घर और धन आदि में आसक्ति का अभाव; ममता का न होना तथा प्रिय और अप्रिय की प्राप्ति में सदा ही चित्त का सम रहना ।।9।।

Absence of attachment and the feeling of mineness in respect of son, wife, home etc., and constant equipoise of mind both in favourable and unfavourable circumstances; (9)


पुत्रदारगृहादिषु = पुत्र स्त्री घर और धनादि में ; असक्ति: = आसक्ति का अभाव ; अनाभिष्वग्ड: = ममता का न होना ; च = तथा ; इष्टानिष्टोपपत्तिषु = अप्रिय की प्राप्ति में ; नित्यम् = सदा ही ; समचित्तत्वमृ = चित्तका सम रहना ;



अध्याय तेरह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-13

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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