"गीता 11:24": अवतरणों में अंतर
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हि = क्योंकि; विष्णो ; नभ:स्पृशम् = आकाश के साथ स्पर्श किये हुए; दीप्तम् = देदीप्यमान; अनेकवर्णम् = अनेक रूपों से युक्त; व्यात्ताननम् = फैलाये हुए मुख(और); दीप्तविशालनेत्रम् = प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त; त्वाम् = आपको; | हि = क्योंकि; विष्णो ; नभ:स्पृशम् = आकाश के साथ स्पर्श किये हुए; दीप्तम् = देदीप्यमान; अनेकवर्णम् = अनेक रूपों से युक्त; व्यात्ताननम् = फैलाये हुए मुख(और); दीप्तविशालनेत्रम् = प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त; त्वाम् = आपको; द्रष्टा = देखकर; प्रव्यथकतान्तरात्मा = भयभीत अन्त:करणवाला(मैं); धृतिम् = धीरज; शमम् = शान्तकिो; विन्दामि = प्राप्त होता हूं | ||
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05:03, 4 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-24 / Gita Chapter-11 Verse-24
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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