"गीता 11:35": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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इस प्रकार भगवान् के मुख से सब बातें सुनने के बाद अर्जुन की कैसी परिस्थिति हुई और उन्होंने क्या किया- इस जिज्ञासा पर [[संजय]] कहते हैं- | इस प्रकार भगवान् के मुख से सब बातें सुनने के बाद [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> की कैसी परिस्थिति हुई और उन्होंने क्या किया- इस जिज्ञासा पर [[संजय]]<ref>संजय [[धृतराष्ट्र]] की राजसभा का सम्मानित सदस्य था। जाति से वह बुनकर था। वह विनम्र और धार्मिक स्वभाव का था और स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध था। वह राजा को समय-समय पर सलाह देता रहता था।</ref> कहते हैं- | ||
'''सञ्जय उवाच''' | '''सञ्जय उवाच''' | ||
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'''संजय बोले-''' | '''संजय बोले-''' | ||
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केशव भगवान् के इस वचन को सुनकर मुकुटधारी [[अर्जुन]] हाथ जोड़कर काँपता हुआ नमस्कार करके, फिर भी अत्यन्त भयभीत होकर प्रणाम करके भगवान् श्रीकृष्ण के प्रति गद्गद वाणी से बोला- ।।35।। | केशव भगवान् के इस वचन को सुनकर मुकुटधारी [[अर्जुन]] हाथ जोड़कर काँपता हुआ नमस्कार करके, फिर भी अत्यन्त भयभीत होकर प्रणाम करके भगवान् [[श्रीकृष्ण]]<ref>'गीता' कृष्ण द्वारा [[अर्जुन]] को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान [[विष्णु]] के [[अवतार]] माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे [[भारत]] में किसी न किसी रूप में की जाती है।</ref> के प्रति गद्गद वाणी से बोला- ।।35।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:13, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-35 / Gita Chapter-11 Verse-35
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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