"गीता 11:54": अवतरणों में अंतर
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परन्तु हे परंतप < | परन्तु हे परंतप [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! अनन्य [[भक्ति]] के द्वारा इस प्रकार चतुर्भुज रूप वाला मैं प्रत्यक्ष देखने के लिये, तत्त्व से जानने के लिये तथा प्रवेश करने के लिये अर्थात् एकीभाव से प्राप्त होने के लिये भी शक्य हूँ ।।54।। | ||
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08:36, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-54 / Gita Chapter-11 Verse-54
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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