"गीता 11:9": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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< | [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> को दिव्य दृष्टि देकर भगवान् ने जिस प्रकार का अपना दिव्य विराट् स्वरूप दिखलाया था, अब पाँच [[श्लोक|श्लोकों]] द्वारा [[संजय]]<ref>संजय [[धृतराष्ट्र]] की राजसभा का सम्मानित सदस्य था। जाति से वह बुनकर था। वह विनम्र और धार्मिक स्वभाव का था और स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध था। वह राजा को समय-समय पर सलाह देता रहता था।</ref> उसका वर्णन करते हैं- | ||
'''सञ्जय उवाच-''' | '''सञ्जय उवाच-''' | ||
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'''संजय बोले-''' | '''संजय बोले-''' | ||
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हे राजन् ! महायोगेश्वर और सब पापों के नाश करने वाले भगवान् ने इस प्रकार कहकर उसके | हे राजन् ! महायोगेश्वर और सब पापों के नाश करने वाले भगवान् ने इस प्रकार कहकर उसके पश्चात् [[अर्जुन]] को परम ऐश्वर्य युक्त दिव्य स्वरूप दिखलाया ।।9।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:43, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-9 / Gita Chapter-11 Verse-9
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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