"गीता 11:30": अवतरणों में अंतर
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आप उन सम्पूर्ण लोकों को प्रज्वलित मुखों द्वारा ग्रास करते हुए सब ओर से बार- बार चाट रहे हैं, हे < | आप उन सम्पूर्ण लोकों को प्रज्वलित मुखों द्वारा ग्रास करते हुए सब ओर से बार- बार चाट रहे हैं, हे विष्णो<ref>मधुसूदन, केशव, विष्णो, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् [[कृष्ण]] का ही सम्बोधन है।</ref> ! आपका उग्र प्रकाश सम्पूर्ण जगत् को तेज़ के द्वारा परिपूर्ण करके तपा रहा है ।।30।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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06:54, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-30 / Gita Chapter-11 Verse-30
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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