"गीता 11:30": अवतरणों में अंतर
छो (Text replace - '<td> {{गीता अध्याय}} </td>' to '<td> {{गीता अध्याय}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>') |
No edit summary |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 24: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
आप उन सम्पूर्ण लोकों को प्रज्वलित मुखों द्वारा ग्रास करते हुए सब ओर से बार- बार चाट रहे हैं, हे < | आप उन सम्पूर्ण लोकों को प्रज्वलित मुखों द्वारा ग्रास करते हुए सब ओर से बार- बार चाट रहे हैं, हे विष्णो<ref>मधुसूदन, केशव, विष्णो, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् [[कृष्ण]] का ही सम्बोधन है।</ref> ! आपका उग्र प्रकाश सम्पूर्ण जगत् को तेज़ के द्वारा परिपूर्ण करके तपा रहा है ।।30।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
पंक्ति 36: | पंक्ति 35: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
समग्रान् = संपूर्ण; लोकान् = लोकोंको; ज्वलभ्दि = प्रज्वलित; वदनै: = मुखों द्वारा ; ग्रसमान: ग्रसन करते हुए; समन्तात् = लेलिह्रासे = चाट रहे हैं; विष्णों = हे विष्णों; उग्रा: = उग्र; समग्रम् = संपूर्ण; जगत् = जगत् को; तेजोभि: = | समग्रान् = संपूर्ण; लोकान् = लोकोंको; ज्वलभ्दि = प्रज्वलित; वदनै: = मुखों द्वारा ; ग्रसमान: ग्रसन करते हुए; समन्तात् = लेलिह्रासे = चाट रहे हैं; विष्णों = हे विष्णों; उग्रा: = उग्र; समग्रम् = संपूर्ण; जगत् = जगत् को; तेजोभि: = तेज़ के द्वारा; आपूर्य = परिपूर्ण करके; प्रतपन्ति = तपायमान करता है | ||
|- | |- | ||
|} | |} | ||
पंक्ति 60: | पंक्ति 59: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
{{ | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | |||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
{{ | {{महाभारत}} | ||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> |
06:54, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-30 / Gita Chapter-11 Verse-30
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||