"गीता 13:24": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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इस प्रकार गुणों के सहित प्रकृति और पुरुष के ज्ञान का | इस प्रकार गुणों के सहित प्रकृति और पुरुष के ज्ञान का महत्त्व सुनकर यह इच्छा हो सकती है कि ऐसा ज्ञान कैसे होता है। इसलिये अब दो [[श्लोक|श्लोकों]] द्वारा भिन्न-भिन्न अधिकारियों के लिये तत्त्व ज्ञान के भिन्न-भिन्न साधनों का प्रतिपादन करते हैं- | ||
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उस परमात्मा को कितने ही मनुष्य तो शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि से [[ध्यान]] के द्वारा हृदय में देखते हैं; अन्य कितने ही ज्ञान योग के द्वारा और दूसरे कितने ही कर्मयोग के द्वारा देखते हैं अर्थात् प्राप्त करते हैं ।।24। | |||
उस परमात्मा को कितने ही मनुष्य तो शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि से ध्यान के द्वारा हृदय में देखते हैं; अन्य कितने ही ज्ञान योग के द्वारा और दूसरे कितने ही कर्मयोग के द्वारा देखते हैं अर्थात् प्राप्त करते हैं ।।24। | |||
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Some by meditation behold the supreme spirit in the heart with the help of their refined and sharp intellect; others realize it through the discipline of knowledge, and others, again, through the discipline of action. (24) | Some by meditation behold the supreme spirit in the heart with the help of their refined and sharp intellect; others realize it through the discipline of knowledge, and others, again, through the discipline of action. (24) | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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09:41, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-13 श्लोक-24 / Gita Chapter-13 Verse-24
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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