"गीता 11:31": अवतरणों में अंतर
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< | [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ने तीसरे और चौथे [[श्लोक|श्लोकों]] में भगवान् से अपने ऐश्वर्यमय रूप का दर्शन कराने के लिये प्रार्थना की थी, उसी के अनुसार भगवान् ने अपना विश्व रूप अर्जुन को दिखलाया; उनके मन में इस बात के जानने की इच्छा उत्पन्न हो गयी कि ये [[श्रीकृष्ण]]<ref>'गीता' कृष्ण द्वारा [[अर्जुन]] को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान [[विष्णु]] के [[अवतार]] माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे [[भारत]] में किसी न किसी रूप में की जाती है।</ref> वस्तुत: कौन हैं ? तथा इस महान् उग्र स्वरूप के द्वारा अब ये क्या करना चाहते हैं ? इसीलिये वे भगवान् से पूछ रहे हैं- | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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14:03, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-31 / Gita Chapter-11 Verse-31
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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