"गीता 11:45": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार भगवान् से अपने अपराधों के लिये क्षमा-याचना करके तब <balloon link=" | इस प्रकार भगवान् से अपने अपराधों के लिये क्षमा-याचना करके तब <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> दो श्लोकों में भगवान् से चतुर्भुज रूप का दर्शन कराने के लिये प्रार्थना करते हैं – | ||
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10:49, 21 मार्च 2010 का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-45 / Gita Chapter-11 Verse-45
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