"गीता 11:47": अवतरणों में अंतर
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<balloon link=" | <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> की प्रार्थना पर अब अगले दो श्लोकों में भगवान् अपने विश्वरूप की महिमा और दुर्लभता का वर्णन करते हुए उनचासवें श्लोंक में अर्जुन को आश्वासन देकर चतुर्भुज रूप देखने के लिये कहते हैं- | ||
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10:49, 21 मार्च 2010 का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-47 / Gita Chapter-11 Verse-47
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