"गीता 11:20": अवतरणों में अंतर
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हे < | हे महात्मन्<ref>मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, महात्मन्, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् [[कृष्ण]] का ही सम्बोधन है।</ref> ! यह स्वर्ग और [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] के बीच का सम्पूर्ण [[आकाश]] तथा सब दिशाएँ एक आपसे ही परिपूर्ण हैं; तथा आपके इस अलौकिक और भयंकर रूप को देखकर तीनों लोक अति व्यथा को प्राप्त हो रहे हैं ।।20।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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06:29, 6 जनवरी 2013 का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-20 / Gita Chapter-11 Verse-20
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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