"प्राच्य": अवतरणों में अंतर
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'''प्राच्य''' ([[अंग्रेज़ी]]: Orient) [[भूमध्य सागर]] के पूर्व में स्थित देश। आमतौर पर प्राच्य शब्द [[एशिया]] के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पश्चिमी नज़रिये में प्राच्य इलाक़े पूर्व- आधुनिक, पारंपरिक और रहस्यमय थे। | '''प्राच्य''' ([[अंग्रेज़ी]]: Orient) [[भूमध्य सागर]] के पूर्व में स्थित देश। आमतौर पर प्राच्य शब्द [[एशिया]] के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पश्चिमी नज़रिये में प्राच्य इलाक़े पूर्व- आधुनिक, पारंपरिक और रहस्यमय थे। | ||
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महाभारत के उल्लेखानुसार 'प्राच्य' पूर्वी भारत का प्राचीन नाम था- | [[महाभारत]] के उल्लेखानुसार 'प्राच्य' पूर्वी भारत का प्राचीन नाम था- | ||
<poem>'गोवास दासमीयानां वसातीनां च भारत, प्राच्यानां वाटधानानां भोजानां चाभिमानिनाम्'।<ref>[[महाभारत]], [[कर्णपर्व महाभारत|कर्णपर्व]] 73, 17.</ref></poem> | <poem>'गोवास दासमीयानां वसातीनां च भारत, प्राच्यानां वाटधानानां भोजानां चाभिमानिनाम्'।<ref>[[महाभारत]], [[कर्णपर्व महाभारत|कर्णपर्व]] 73, 17.</ref></poem> | ||
*इस उल्लेख का प्राच्य संभवत: [[मगध]] या वंग देश का कोई भाग हो सकता है। | *इस उल्लेख का प्राच्य संभवत: [[मगध]] या वंग देश का कोई भाग हो सकता है। | ||
*प्राच्य की सेनाएँ | *प्राच्य की सेनाएँ महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ी थीं। | ||
*प्राच्य या प्राचीन का 'प्रासी' के रूप में उल्लेख [[चंद्रगुप्त मौर्य]] की राजसभा में स्थित [[यूनानी]] राजदूत [[मेगस्थनीज़]] ने भी किया है। | *प्राच्य या प्राचीन का 'प्रासी' के रूप में उल्लेख [[चंद्रगुप्त मौर्य]] की राजसभा में स्थित [[यूनानी]] राजदूत [[मेगस्थनीज़]] ने भी किया है। | ||
*मेगस्थनीज़ के वर्णन से स्पष्ट है कि प्राची या प्राच्य देश मगध का ही नाम था, क्योंकि प्राची की राजधानी मेगस्थनीज़ ने [[पाटलिपुत्र]] में बताई है। | *मेगस्थनीज़ के वर्णन से स्पष्ट है कि प्राची या प्राच्य देश मगध का ही नाम था, क्योंकि प्राची की राजधानी मेगस्थनीज़ ने [[पाटलिपुत्र]] में बताई है। | ||
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08:26, 14 मई 2012 का अवतरण
प्राच्य (अंग्रेज़ी: Orient) भूमध्य सागर के पूर्व में स्थित देश। आमतौर पर प्राच्य शब्द एशिया के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पश्चिमी नज़रिये में प्राच्य इलाक़े पूर्व- आधुनिक, पारंपरिक और रहस्यमय थे।
- महाभारत के अनुसार
महाभारत के उल्लेखानुसार 'प्राच्य' पूर्वी भारत का प्राचीन नाम था-
'गोवास दासमीयानां वसातीनां च भारत, प्राच्यानां वाटधानानां भोजानां चाभिमानिनाम्'।[1]
- इस उल्लेख का प्राच्य संभवत: मगध या वंग देश का कोई भाग हो सकता है।
- प्राच्य की सेनाएँ महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ी थीं।
- प्राच्य या प्राचीन का 'प्रासी' के रूप में उल्लेख चंद्रगुप्त मौर्य की राजसभा में स्थित यूनानी राजदूत मेगस्थनीज़ ने भी किया है।
- मेगस्थनीज़ के वर्णन से स्पष्ट है कि प्राची या प्राच्य देश मगध का ही नाम था, क्योंकि प्राची की राजधानी मेगस्थनीज़ ने पाटलिपुत्र में बताई है।
- जान पड़ता है कि भारत के पश्चिमी भागों के निवासी मगध या उसके परिवर्ती प्रदेश को पूर्वी देश या प्राची कहते थे।
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