"गीता 11:45": अवतरणों में अंतर
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अदृष्टपूर्वम् = पहिले न देखे हुए आश्र्वर्यमय आपके इस रूपको; | अदृष्टपूर्वम् = पहिले न देखे हुए आश्र्वर्यमय आपके इस रूपको; द्रष्टा= देखकर; हृषित: = हर्षित होरहा; अस्मि = हूं(और); भयेन = मन; प्रव्यथितम् च = अति व्याकुल भी हो रहा है; (अतJ = इसलिये; तत् = उस; रूपम् = (अपने चतुर्भुज)रूप को; दर्शय = दिखाइये; प्रसीद = प्रसत्र होइये | ||
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05:03, 4 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-45 / Gita Chapter-11 Verse-45
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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