"गीता 13:17": अवतरणों में अंतर
छो (Text replace - "<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>" to "<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "तत्व " to "तत्त्व ") |
||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
वह परब्रह्म ज्योतियों का भी ज्योति एवं माया से अत्यन्त परे कहा जाता है । वह परमात्मा बोधस्वरूप, जानने के योग्य एवं | वह परब्रह्म ज्योतियों का भी ज्योति एवं माया से अत्यन्त परे कहा जाता है । वह परमात्मा बोधस्वरूप, जानने के योग्य एवं तत्त्व ज्ञान से प्राप्त करने योग्य है और सबके हृदय विशेष रूप स्थित है ।।17। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| |
06:58, 17 जनवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-13 श्लोक-17 / Gita Chapter-13 Verse-17
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||