"गीता 11:10-11": अवतरणों में अंतर
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अनेक मुख और नेत्रों से युक्त, अनेक अद्भुत दर्शनों वाले, बहुत-से दिव्य भूषणों से युक्त और बहुत-से दिव्य शस्त्रों को हाथों में उठाये हुए, दिव्य माला और वस्त्रों को धारण किये हुए और दिव्य गन्ध का सारे शरीर में लेप किये हुए, सब प्रकार के आश्चर्यों से युक्त, सीमा रहित और सब ओर मुख किये हुए विराट् स्वरूप परमदेव परमेश्वर को <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर | अनेक मुख और नेत्रों से युक्त, अनेक अद्भुत दर्शनों वाले, बहुत-से दिव्य भूषणों से युक्त और बहुत-से दिव्य शस्त्रों को हाथों में उठाये हुए, दिव्य माला और वस्त्रों को धारण किये हुए और दिव्य गन्ध का सारे शरीर में लेप किये हुए, सब प्रकार के आश्चर्यों से युक्त, सीमा रहित और सब ओर मुख किये हुए विराट् स्वरूप परमदेव परमेश्वर को <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। | ||
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07:45, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-10, 11 / Gita Chapter-11 Verse-10, 11
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