"गीता 11:15": अवतरणों में अंतर
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हे देव ! मैं आपके शरीर में सम्पूर्ण देवों को तथा अनेक भूतों के समुदायों को, [[कमल]] के आसन पर विराजित [[ब्रह्मा]]<ref>सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, [[विष्णु]] एवं [[शिव]] की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य | हे देव ! मैं आपके शरीर में सम्पूर्ण देवों को तथा अनेक भूतों के समुदायों को, [[कमल]] के आसन पर विराजित [[ब्रह्मा]]<ref>सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, [[विष्णु]] एवं [[शिव]] की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य स्रष्टा, प्रजापति, पितामह तथा हिरण्यगर्भ हैं।</ref> को, [[महादेव]]<ref>[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता हैं।</ref> को और सम्पूर्ण [[ऋषि|ऋषियों]] को तथा दिव्य सर्पों को देखता हूँ ।।15।। | ||
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07:28, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-15 / Gita Chapter-11 Verse-15
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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