हे भरतवंशी <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! मुझमें आदित्यों को अर्थात् <balloon link="अदिति " title="अदिति दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं और कश्यप ॠषि को ब्याही थीं । इनको देवमाता कहा गया है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अदिति</balloon> के द्वादश पुत्रों को, आठ वसुओं को, एकादश रुद्रों को, दोनों <balloon link="अश्विनीकुमार " title="अश्विनी से उत्पन्न, सूर्य के औरस पुत्र, दो वैदिक देवता थे। ये देव चिकित्सक थे। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अश्विनी कुमारों</balloon> को और उनचास मरूद्गणों को देख तथा और भी बहुत-से पहले न देखे हुए आश्चर्यमय रूपों को देख ।।6।।
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Behold in Me, Arjuna, the twelve sons of Aditi, the eight Vasus, the eleven Rudras (gods of destruction), the two Asvinikumaras (the twin-born physicians of gods) and the fortynine maruts(winds-gods), and witness many more wonderful forms never seen before. (6)
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